रिश्ते, आज कल…

आज कल के रिश्ते भी अजीब होते हैं

दिखावा ज्यादा, भावनाएं कम

Whatsapp ज्यादा, फ़ोन काम

कहाँ है वह लगाव वह घंटो घंटों बातें करना

पुरानी बातें याद कर हसी ठिठोली करना

पहले जन्मदिन पर आधी रात को भाई बहन जागते थे

अब “सुबह ऑफिस है” कह कर निपटा देते हैं

फ़ोन करना तो एक formality सा हो गया है

कैसे हो , क्या हो , सब ठीक है

अच्छा ध्यान रखना में सीमित हो गया है

फ़ोन भी आपको वही करेगा, जिसे आप करोगे

चार बार किया तो वह एक बार करेगा

पहले दूर होकर भी पास होने का एहसास होता था

अब तो त्यौहार पर भी फॉरवर्ड्स आ जाते हैं

वो भी अगर आप खुश करने वालों की सूची में आते हैं तो

मैसेज टाइप करने में भी कष्ट है लोगों को

Okay को K और थैंक यू को tks लिख देते हैं

हाँ सज धज के फोटो जरूर भेजते हैं

भले बड़ों का आशीर्वाद और छोटों को प्यार न कहे

सिमट के रह गए हैं, टेक्नोलॉजी में खो गए हैं

ये मासूम से रिश्ते…

जो पहले मिलकर साथ चलते थे

आज स्वार्थी से दिखते हैं वे रिश्ते

खून के रिश्तों से ऊपर हैं आज यह दिखावे के रिश्ते

शब्दों के तोल मोल में फंसे

आज मोल भाव में धंसे हुए हैं यह रिश्ते

दो बच्चों में आज कुछ माँएं भी भेद-भाव करती हैं

कुछ माँ का प्रेम भी आंशिक सा हो गया है

जहाँ मिले सुख , उधर रहना पसंद करती हैं

बुरे समय में फ़ोन पर बस सांत्वना ही मिलती है

जो भावुक हैं, आज भी अपेक्षाएं रखते हैं

अपनेपन की वही चोट बार-बार मिलती है

ये दिखावों की दुनिया है मालिक

यहाँ रिश्ते प्यार से नहीं दिखावों पे जीते जाते हैं II

—–

अनुप्रिया मिश्रा

7 comments

  1. माना वक़्त बदल रहा धरा
    बदल रहा है इंसान यहां
    गलती मानव की नही है देवी
    सँगत का असर होता यहां।।

    आज सँगत इंसानो की
    मशीने मानव का हिस्सा यहां
    जैसा उपयोग करता धरा मानव
    वैसा ही वो बन जाता यहां।।

    जीवन किसी का भी देख लो
    खुद का,हमारा,किसी का भी देखो यहां
    मशीने अंग सँग सदा साथ हमारे
    मानव मशीन में तब्दील हो रहा यहां।।

    नही भावनाए नही संवेदनाएं
    नही आँसू अब बहाते लोग यहां
    सड़को पर हैं लोग तड़पते मरते
    नज़रे फेर सब निकलते आज यहाँ।।

    दोष आपका नही देवी
    ना दोष किसी का है यहाँ
    सँगत का असर आ ही जाता
    आज नही तो कल आता हैं यहां।।

    बदल ना सकते सँगत अपनी
    मशीने जीवन मे घुसी यहां
    एक दिन निकेलगा भगवान भी दिल से
    मानव मशीन बनेगा जब यहां।।

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