ज़िन्दगी तू कहाँ निकल गई

एक बचपन की तलाश में पता ही न चला कहाँ साढ़े तीन दशक निकल गए, 
कुछ अनकही सी बातें सुनने को, कुछ सपने बुनने को,
कुछ हठ करने को, जो मन्न विह्वल रहता था ,
न जाने ऐसे कितने वो पल निकलते चले गए ,
हम कल भी थे, हम आज भी हैं, वो वक़्त गुज़रते चले गए।

बचपन का वो लड़कपन आज भी याद आता है, 
मन मचलता था कुछ ख्वाहिशों को, पूरा होने पर इतराता था, 
अपनी सामर्थ्य से ज़्यादा माता पिता कर जाते थे,
और फिर भी मन्न हठी था, एक नयी ख्वाहिश ले आता था, 
वे तबभी हमारी खुशियों में अपनी खुशियों को ढूंढ़ते थे,
आज भी हममे ही उनकी सारी चिंताए सिमटी हैं,
सब कुछ बिलकुल वैसा ही है, वो वक्त गुज़रते चले गए।

जब छत्त पर क्रिकट खेलते थे और भैया बहुत खिजाते थे,
कभी मोटी, कभी झूटी कह फिर मिल कर ठहाके लगाते थे,
वो बारिश में कागज़ की नावें जब हम दौड़ाते थे,
और एक दूसरे की परेशानियों को मिलकर सुलझाते थे,
आज वो दिन मोती बनकर आँखों से बह जाते हैं,
क्योंकि यादें हैं वैसी ही बस वक्त गुज़रते चले जाते हैं।

बचपन की अधूरी ख्वाहिशों पर माँ यह कह कर समझाती थी,
ज़िन्दगी की अभी शुरुआत है, आगे खुशियां भरमार हैं ,
आज तीन दशक निकले हैं तो एहसास यही होता है,
वो दिन क्या दिन थे बचपन के जब लाड बहुत होता है, 
ख़ुशी वही थी जिसमे अपनों का हाँथ सदा होता है,
कम हो या ज़्यादा, फिर भी हममे प्यार बहुत होता है,
है आज सब कुछ फिर भी बस वो प्यारे वक़्त गुज़रते चले जाते हैं।

बचपन में बड़े होने की चाह बहुत होती है, 
पता चला बड़े होकर की यह राह बहुत कठिन है,
दूर करे जो अपनों से वो नौकरी है आज पाई,
घर चलाने की ज़िम्मेदारी में सुख, शांति, सेहत है गवाई,
फिर दिल बहलाने को वो वक़्त याद आते हैं,
जब बिना शिकन के छोटी से बड़ी ज़रुरत पापा पूरी करते हैं, 
हो स्थिति कितनी भी तंग, परेशानी ज़ाहिर न करते हैं,
आज भी वे करने को उतने ही आतुर हैं, फिर भी वो वक़्त कहाँ, जो वक़्त गुज़रते चले जाते हैं।

समय बड़ा बलवान है, नहीं रुकता यह किसी के लिए,
हम सोचते रह जातें हैं और पल हाथों से फिसल जाते हैं,
बचपन में खुशियां बेशुमार थी लेकिन हम भागना चाहते थे,
आज ज़िन्दगी भाग रही है, कहीं तो ठहराव आ जाये ये सोचते हैं, 
क्या थोड़ा समय बिता लूँ मै वापस बचपन की गलियों में,
मै हूँ वही, सब हैं वही क्या थोड़ा प्यार लुटा लूँ मैं,
इस समय को कैद कर लूँ , एक बार फिर हठ कर लूँ मै, 
क्योंकि वक़्त गुज़रते चले जाते हैं, फिर बहुत याद आते हैं।

~ Dedicated to my parents on my 35th birthday

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